Attendees: Vishal, Dhyanesh, Ridhhi, Sonal, Ruchi., Rekha, Pradip etc
Summary Prepared by: Shrish
Chapter No: 6
Sutra No: Sutra related to Aayu karma
Recorded lecture:
Summary:
प्रश्न: कषाय को कैसे जीते?
उत्तर: कषाय को जीतने के लिये अपने कषाय रहित स्वभाव को ध्यान मे रखे। उससे कषाय को जीतना होता है।
चार गति = मनुष्य, नरक, देव, तिर्यंच
जीवो की संख्या: मनुष्य < नरक < देव < तिर्यंच
नरक की संख्या = अनंख्यात * मनुष्य की संख्या
देव की संख्या = असंख्यात * नरक की संख्या
प्रत्येक वनस्पति = असंख्यात * देव
चतिरिन्द्रीय = असंख्यात * प्रत्येक वनस्पति
त्रिन्द्रीय = असंख्यात * चतिरिन्द्रीय
दोन्द्रीय = असंख्यात * त्रिन्द्रीय
निगोद = अनन्त * दोन्द्रीय
नरक के अन्दर जीवो की संख्या:
1st Narak > 2nd Narak > 3rd Narak > 4th Narak > 5th Narak > 6th Narak > 7th Narak
नरक के अन्दर जीवो की आयु:
1st Narak < 2nd Narak < 3rd Narak < 4th Narak < 5th Narak < 6th Narak < 7th Narak
About देव:
As Number of Swarg increase-
their age increases,
happiness increases
influence increases,
Parigraha decreases
Height decreases (1 हाथ in अनुत्तर, १.५ हाथ in अनुद्दीश, ७ हाथ in पहला स्वर्ग)
Lokantik deva are brahamchaari, and have very less desire for sensory pleasure.
//Notes: The Tras naali looks like a band, where the most happy Sidha bhagwaan is at the top and the happiness decrease as we go from top to bottom. From Sidha to //Dev to Naraka.
देव चार प्रकार के हैं = भवनवासी, व्यंतर, ज्योतिषी, वैमानिक
नरक | Light | Height of नरक (योजन) | बिल | Maximum age (सागरोपम) | लेश्या | Height (धनुष) | Temperature |
1 | रत्न | 1,80,000 | 30,00,000 | १ | कपोत | 7 | उष्ण |
2 | कंकर | 32,000 | 25,00,000 | ३ | कपोत | 14 | उष्ण |
3 | रेती | 28,000 | 15,00,000 | ७ | कपोत, नील | 28 | उष्ण |
4 | कीचङ | 24,000 | 10,00,000 | १० | नील | 56 | उष्ण |
5 | घूआं | 20,000 | 3,00,000 | १७ | नील, कृष्ण | 112 | उष्ण/शीत |
6 | अंधकार | 16,000 | 1,00,000-5 | २२ | कृष्ण | 224 | उष्ण/शीत |
7 | गाङ अंघकार | 8,000 | 5 | ३३ | परमकृष्ण | 448 | शीत |
Total बिल = 84,00,000 | |||||||
देव | भेद | इंद्र/प्रतिन्द्र | Age (पल्य) | लेश्या | प्रविचार | ||
भवनवासी | stays in पंख, खर भाग of 1st नरक, and मध्यलोक | १० | 20 # 20 | ३ | पीत | काय | |
व्यंतर | stays in पंख, खर भाग of 1st नरक, and मध्यलोक | ८ | 16 # 16 | १ | पीत | काय | |
ज्योतिषी | मध्यलोक मे रहते हैं। | ५ | 1 # 1 | ००-Jan | पीत | काय | |
वैमानिक देव - १ | उर्ध्व लोत मे रह्ते हैं | १२ | १२ # 12 | २-२२ सागर | पीत-शुक्ल | कर्ण, स्पर्श, शब्द, मन |
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