Attendees:
Summary Prepared by: Vishal
Chapter No: 7
Sutra No:
Recorded lecture:
Summary:
दान के पान्च प्रकार:
१) आहार दान
२) औषध दान
३) ग्य़ान दान
४) अभय दान
५) प्रिय वचन दान
हिन्सा:
१) सन्कल्पी
२) आरम्भी
३) उद्धमी
४) विरोधी
मुनि सभी हिन्सा से बच जाते है
दान के प्रकार:
१) लोकिक
२) पारलोकिक
दान की इच्छा: प्रशस्त लोभ (मोहनीय कर्म)
दान मे बाधा: दानन्तराय कर्म
नवधा भक्ति:
१) सन्ग्रह - मुनि को आवकार देना
२) उच्च स्थान - उच्च स्थान पर बीठाना
३) पद्दोदक - मुनि कि पाव धोना
४) अर्चन - स्तवन बोलना
५) प्रणाम - मुनि को यथायोग्य प्रणाम करना
६) मन शुद्धि -
७) वचन शुद्धि -
८) काय शुद्धि -
९) भोजन शुद्धि -
दातार के गुण:
१) ईस लोक मे कुछ मिले ऎसा निदान नही करना
२) क्रोध नही आना
३) कपट सहीत दान नही करना
४) ईर्षा रहित दान करना
५) विषाद नही करना
६) प्रसन्नतापूर्वक दान देना
७) निर अहन्कारपूर्वक दान देना
धन का उपयोग:
१) सान्सारीक क्रिया मे (पाप, हिन्सा)
अन्यायपूर्वक धन उपार्जन करना
२) धर्म-ध्यान मे (पुन्य, अहिन्सा)
न्यायपूर्वक धन उपार्जन करके धर्म मे लगाना
स्त्री, पुत्र, धन, कुछ भी अगली पर्याय मे साथ नही जाते
अगर मेरा धन किसी के काम आये तो मेरा धन कमाना सफ़ल है
शास्त्र के अनुसर धन का उपयोग पान्च भाग मे:
१) मेरे लिये
२) परिवार के लिये
३) दान के लिये
४) खराब समय के लिये
५) जीवदया के लिये
दान के पात्र जीव:
१) सुपात्र:
अ) चोथे गुणस्थानवर्ति मुनि (अच्छा)
ब) पान्चवे गुणस्थानवर्ति मुनि (और अच्छा)
च) छ्ठे-सातवे गुनस्थानवर्ति मुनि (उत्तम)
२) कुपात्र:
अ) धर्म मे अश्रद्धा
ब) अहित वचन को हितपूर्वक कहेनेवाला
च) द्रव्यलिन्गी मुनि
३) अपात्रदान:
अ) हिन्सा मे आसक्त
ब) परिग्रही
च) सप्त व्यसनी
अपात्रदान पत्थर पर बीज बोने जेसा है
अपात्रदान जन्गल मे चोर को धन दे देने जैस है
ग्रहस्थ को शुद्ध धर्म नहि है, इसी लिये दान मे लगना चाहिये
दान परिग्रह सन्ग्या को तोडता है
मुनि ना मिले तो साधर्मिक को दान देना
भावलिन्गी मुनि को दान देना उत्क्रुष्ट दान है
दुर्लभ शास्त्र का दान देन चाहिए
धर्मग्रन्थ के प्रिन्टिन्ग के लिये दान देना चाहिए
पन्च्मी के दिन ग्यानदान देना चाहिए
सधर्मिक को भोजन दान देन चहिए: अ) एकासन, ब) आयम्बेल
करुणा बुद्धि से दुःखी जीव को दान देना - दया है
उत्क्रुष्ट दान देने से सौधर्म इन्द्र गति मिलती है
इस काल मे, धनाढय लोगो मे: अ) दान देने से क्रोध बढता हुआ देखा जाता है; ब) मुढता बढते देखी जाती है; च) दुसरो का आपमान करने का भय देखा नही जाता
दान देने से कषाय कम ही रहेता है
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