Monday, November 3, 2008

Summary ch 6

Date of Swadhyaya: 26 0ct
Attendees: 5-7
Chapter No:ch 6 (Aasrav)
Sutra No:page 131, 5
Summary:

साम्प्रयिक आस्रव- कषाय जीवो को होता है (मनुष्य, अदि)
इर्यापथ आस्रव- कषाय रहित जीवो को होता है 11- 13 गुर्ण स्थान तक तर्थान्केर को होता है देव शास्त्र गुरु की पूजा से मिथाय्त्व का नाश होता है
सम्यक्त्व के कारन जो कार्य है वह करना चाहेये-
सम्यक्त्व की क्रिया श्रावक के ६ आवश्यक है -
1) Dev Puja
2) Guru Upasana
3) Swadhyay
4) Tap
5) Sanyam
6) Daan

सम्यक्त्व के कारन जो कार्य है वह करना चाहेये- मोहनीय के २ भेद
दर्शन मोहनीय-
1) मिथात्व दर्शन मोहनीय,
2) मिस्र दर्शन मोहनीय,
3) सम्यक्त्व दर्शन मोहनीय
चरित्र मोहनीय-
१६ kashaya + ९ Nw कषाय – (HASHYA, RATI, ARATI, BHAY, SHOCK, JUGUPTSA, STRI VED, PURUSHVED, NAPUNSHAK VED.)

अन्नान्तानुबन्धी (क्रोध, मान, माया, लोभ)
प्रत्याखान((क्रोध, मान, माया, लोभ)
संज्वलन (क्रोध, मान, माया, लोभ)
अप्रत्याख्यान-(क्रोध, मान, माया, लोभ) एक देश चरित्र का पालन न होने दे
अन्नान्तानुबन्धी - जो कर्म सम्यक्त्व को प्रगत न होने दे वह अन्नान्तानुबन्धी दर्शन मोहनीय का उदय है
आत्मा का परिणाम कषाय है
कर्मो के निमित से और कषाय के आवेश मैं होने वाला कार्य क्रिया है
परीग्रह- धन- धान्य, सोना चांदी, कपड़ा- माकन, जमीन, नोकर चाकर, परिवार, वहांन
परीग्रह- तृष्णा, आकांशा, लोभ होता है

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